माननीय श्रोतागण, मेरे प्यारे देशवासियों और युवा मित्रों,
Atmanirbhar Bharat Speech in Hindi: आज मैं आपके सामने एक ऐसे विषय पर बोलने जा रहा हूँ, जो केवल एक योजना नहीं, बल्कि भारत के भविष्य की मजबूत नींव है। वह है ‘आत्मनिर्भर भारत’। 2020 में कोविड महामारी के कठिन समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि भारत को आत्मनिर्भर बनाया जाए। यह अभियान केवल एक आर्थिक पैकेज नहीं, बल्कि एक संपूर्ण विचारधारा है, जो देश के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाने के लिए कार्यरत है। मैं एक अनुभवी वक्ता के रूप में कहता हूँ, ऐसी योजना पहले कभी नहीं थी, जो इतनी गहराई से देश के विकास पर केंद्रित हो।
चलिए, पहले यह समझते हैं कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब क्या है? यह एक 20 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज है, जो देश की जीडीपी का 10 प्रतिशत है। इसमें केंद्र सरकार की पिछली घोषणाएँ और रिजर्व बैंक के निर्णय भी शामिल हैं। इस पैकेज का मुख्य उद्देश्य है, देश को जमीन, श्रम, तरलता और कानूनों के माध्यम से मजबूत करना। विशेष रूप से कुटीर उद्योग, लघु और मध्यम उद्योग, मजदूर, मध्यमवर्गीय और बड़े उद्योगों को इसका लाभ मिलता है। मैं कई वर्षों से भाषण लिखता और अध्ययन करता हूँ, और मुझे लगता है कि यह अभियान भारत के इतिहास में एक मील का पत्थर है, क्योंकि इसने संकट को अवसर में बदल दिया।
आत्मनिर्भर भारत पाँच मुख्य स्तंभों पर आधारित है, जो देश के विकास की दिशा तय करते हैं। पहला स्तंभ है अर्थव्यवस्था – इसमें छोटे बदलावों के बजाय बड़ी छलांग लगाने पर जोर है। यानी, हम केवल छोटे सुधारों पर नहीं रुकेंगे, बल्कि बड़े परिवर्तन की तैयारी करेंगे। दूसरा है बुनियादी ढाँचा – भारत को ऐसी पहचान बनानी है कि दुनिया हमारे मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर की ओर आकर्षित हो। तीसरा है प्रणाली – इसमें 21वीं सदी के तकनीक पर आधारित व्यवस्था शामिल है, जिसमें डिजिटल सिस्टम और आधुनिक तरीकों का समावेश है। चौथा स्तंभ है जीवंत जनसंख्या – हमारी युवा शक्ति वह ऊर्जा है, जो देश को आगे ले जाएगी। और आखिरी पाँचवाँ स्तंभ है माँग – इसमें आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करके माँग को बढ़ाना और पूरा करना है। ये स्तंभ केवल शब्द नहीं, बल्कि वास्तविक कार्य हैं। उदाहरण के लिए, रक्षा क्षेत्र में ऑपरेशन सिंदूर सफल हुआ, क्योंकि भारत आत्मनिर्भर हुआ है। पहले हम विदेशों पर निर्भर थे, लेकिन अब हम स्वदेशी तकनीक विकसित कर रहे हैं।
इस अभियान ने कई क्षेत्रों को छुआ है। कृषि क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर करने के लिए प्रयास चल रहे हैं, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिलता है। कर प्रणाली, कानून, मानव संसाधन और वित्तीय व्यवस्था में सुधार हो रहे हैं। गरीब, मजदूर और प्रवासी कामगारों को सशक्त बनाने के लिए विशेष योजनाएँ हैं। मैं अपने अनुभव से कहता हूँ, जब मैं ऐसे विषयों पर भाषण सुनता या लिखता हूँ, तो समझ आता है कि ये केवल घोषणाएँ नहीं, बल्कि वास्तविक परिणाम दिखाते हैं। उदाहरण के तौर पर, कोविड काल में पीपीई किट और एन-95 मास्क की उत्पादन क्षमता शून्य से लाखों तक पहुँची। यह दिखाता है कि संकट में भी भारत ने आत्मनिर्भरता की ताकत दिखाई। साथ ही, ऊर्जा, अंतरिक्ष, तकनीक और उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय महत्व के खनिज मिशन, गहन जल अन्वेषण मिशन और कृषि उर्वरक योजनाएँ शुरू हैं।
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आत्मनिर्भर भारत का मतलब केवल स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि दुनिया के साथ सहयोग करके आगे बढ़ना है। प्रधानमंत्री कहते हैं, ‘वोकल फॉर लोकल’ – यानी स्थानीय उत्पादों को आवाज दें, उन्हें वैश्विक स्तर पर ले जाएँ। हम कच्चा माल आयात करके तैयार उत्पाद निर्यात करने पर जोर दे रहे हैं, ताकि भारत उत्पादन का केंद्र बने। इससे रोजगार बढ़ेगा, अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और विदेशी निर्भरता कम होगी। मुझे लगता है, यह अभियान स्वदेशी आंदोलन की याद दिलाता है, लेकिन आधुनिक संदर्भ में। आज के युवाओं से मैं कहता हूँ, आप इस अभियान का हिस्सा बनें – स्थानीय उत्पादों का उपयोग करें, नई कल्पनाएँ लाएँ और देश को विकसित करने में योगदान दें।
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अंत में, आत्मनिर्भर भारत विकसित भारत 2047 की नींव है। परावलंबन स्वतंत्रता पर सवाल उठाता है, इसलिए स्वावलंबन जरूरी है। मैं एक विशेषज्ञ के रूप में कहता हूँ, यह अभियान विश्वसनीय है, क्योंकि इसने लाखों लोगों के जीवन में बदलाव लाया है। आइए, हम सब मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाएँ और भारत को विश्व का एक मजबूत राष्ट्र बनाएँ।
धन्यवाद। जय हिंद!